12.1-Improvement in Crop Yields

12.1-Improvement in Crop Yields Important Formulae

You are currently studying
Grade 9 → Science → Improvement of Food Resources → 12.1-Improvement in Crop Yields

After successful completion of this topic, you should be able to:

  • Identify the nutrients present in different foods, in order to have a balanced diet.
  • Recognize growth needs of different crops like temperature, in order to produce them effectively
  • Discover ways of breeding a better variety of seeds, in order to improve quality of crops.
  • Enlist various ways of enriching the soil in order to increase crop yield.
  • List down ways of irrigating a piece of land, in order to provide adequate water to all crops.
  • Analyse ways/ combinations of growing crops in order to maximize yield.
  • Describe ways/ organisms by which crops get affected, in order to develop a solution to prevent them from attacking crops.
  • Develop better storage strategies for crops, in order to minimize storage losses.

12.1-Improvement in Crop Yields

कृषि में पैदावार सुधार एक महत्वपूर्ण विषय है, जो हमारे भोजन संसाधनों को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है। पैदावार में सुधार का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसे विभिन्न तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है, जैसे उर्वरक, बीज, सिंचाई, कीट नियंत्रण, और अन्य कृषि विधियों का प्रयोग।

उर्वरकों का उपयोग

उर्वरक मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। दो प्रकार के उर्वरक होते हैं:

  • रासायनिक उर्वरक : ये कृत्रिम रूप से बनाए जाते हैं और इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्व होते हैं।
  • जैविक उर्वरक : ये प्राकृतिक होते हैं, जैसे गोबर की खाद, कम्पोस्ट आदि।
बीजों का सुधार

उन्नत बीजों का प्रयोग एक अन्य तरीका है जिससे फसल की उपज में सुधार किया जा सकता है। इन बीजों को विशेष प्रकार के चयन और संवर्धन के द्वारा तैयार किया जाता है। उदाहरण के लिए, उच्च उत्पादकता वाले गेहूं, चावल और अन्य फसलों के बीज।

सिंचाई का महत्व

सिंचाई के बिना कृषि के क्षेत्र में सुधार संभव नहीं है, क्योंकि पानी फसलों की वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है। सिंचाई की विभिन्न विधियाँ हैं:

  • वृष्टि आधारित सिंचाई : वर्षा के पानी का उपयोग करना।
  • सिंचाई की कृत्रिम विधियाँ : जैसे ड्रिप सिंचाई, फव्वारा सिंचाई आदि।
कीट और रोग नियंत्रण

फसलों की पैदावार में कीटों और रोगों का भी बड़ा योगदान होता है। कीटों और रोगों से बचाव के लिए रासायनिक कीटनाशक और जैविक नियंत्रण विधियाँ उपयोग की जाती हैं। इससे फसलों की सुरक्षा होती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

फसल सुरक्षा और बहुफसलीकरण

फसल सुरक्षा के उपायों से यह सुनिश्चित किया जाता है कि फसल को बाहरी खतरों से बचाया जा सके। इसके साथ ही, बहुफसलीकरण की पद्धति से भी पैदावार में वृद्धि होती है, क्योंकि विभिन्न फसलों को एक साथ उगाने से मृदा की उर्वरता बनी रहती है और जोखिम कम होता है।

पैदावार का गणितीय मॉडल

कृषि के पैदावार सुधार को समझने के लिए विभिन्न गणितीय मॉडल भी बनाए गए हैं। एक सामान्य सूत्र है:

$Y = A \cdot B \cdot C$

यहां, Y = पैदावार, A = मौसम की स्थिति, B = उर्वरक और बीज का प्रभाव, और C = सिंचाई एवं कीट नियंत्रण।

जैविक खेती का योगदान

जैविक खेती, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, भी फसल उत्पादन में सुधार कर सकती है। यह मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना कृषि में सुधार करती है।

उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ

कृषि में सुधार की दिशा में कई उपलब्धियाँ प्राप्त हुई हैं, जैसे उच्च उत्पादन क्षमता वाली किस्मों का विकास। लेकिन चुनौतियाँ भी हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन, जल की कमी, और मिट्टी की गुणवत्ता का बिगड़ना।